“C++ Language” Short Introduction & OOPS Concept’s [हिंदी में]


“C++ Programing Language” एक Object-Oriented Programming Language हैं, जिसे 1980 में USA की Bell Laborites में Bjarne Stroustrup ने Develop किया था। C++ Language, C Language का ही विस्तार रूप हैं और C++ Programming Language, C की तुलना में ज्यादा सरल भी है।

Introduction Of C++ Programming Language :

C++ Programming Language को हम एक Intermediate level language कह सकते है क्योंकि इसमें high level & low-level language दोनों की सुविधा होती है।

C ++ एक Middle-level language भी है। C++ Programming Language, Object-Oriented Programming Language है, लेकिन ये केवल Object-Oriented नहीं है।

C++ Programming Language में सभी Object-Oriented Programming Language के features जैसे Abstraction, Encapsulation, Inheritance का Use होना, किसी Programmer के लिए इसे Useful बनाता है।

Cpp programming language

C++ Programming in Hindi

कोई भी Programmer C++ में User-defined operators (i.e Operator Overloading) और function overloading आसानी से कर सकना और Exception Handling जैसी सुविधा इस Language को C से आसान बनता है। आप इसमें आसानी से Variables को Program में कहीं भी Declared कर सकते हैं।


C++ Language में आप Templates, Control Structure, Operator Overloading, Classes और Objects, Storage Classes Constructors and Destructors, Object-Oriented System Development के बारे में पढ़ते है।

Uses of C++ Language:

C++ Programming Language का इस्तेमाल मुख्य रूप से किसी Computer Software को बनाने के लिए किया जाता है, इसके आलावा Drivers, Hardware’s, Servers के लिए भी किया जाता है। हमारे पास जितने भी सॉफ्टवेयर हैं उसमें अधिकतर इसी की देन है।

हम इसका use कर Operating system भी बना सकते हैं और कोई साधारण सा Software भी बना सकते हैं।

आप ये जानकर हैरान हो जायेंगे कि Microsoft Internet Explorer, Microsoft DirectX, Google Chrome (based on chromium web browser) Mozilla Firefox, SafariNetscape, Opera & Opera Mini, Adobe Photoshop, Adobe Image Ready, facebook  YouTube, Amazon ये सभी बेहतरीन Software C++ Language पर ही बने हैं।

Embedded Software, Device DriversNetwork Drivers बनाने के लिए भी C++ Language को Use किया जाता है।


अन्य Programming Languages के Assemblers, Compilers, Interpreters को भी C++ में बनाया जाता है। ज्‍यादातर Multimedia based Program जैसे Games, Sound & Video Editing Software, Animation Programs भी किसी न किसी रूप से “C++ Language” पर ही बनाया जाता है।

C++ और Object-Oriented Programming Principles (OOPS Concept’s):

Object-Oriented Programming एक Programming way है, जो Class, Objects और इन दोनो के चारों ओर घूमने वाली सभी-विभिन्न Concept’s के साथ जुड़ा हुआ होता है। एक उदाहरण के माध्यम से इन सभी के बारे में थोड़ा समझने का प्रयास करें। हम सभी मनुष्य जीवित रूप में इसका अच्छा उदहारण हैं।

Object Oriented Programming Concept hindi
OOPs Concept

मान लीजिये इंसान एक पुरुष और दूसरा महिला हैं। हर इंसान (जो पुरुष और महिला है) सभी के पास दो पैरों, दो हाथ, दो आँखें, एक नाक, एक दिल होते हैं। शरीर दोनों के लिए सामान्य हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट अंग हैं, जो पुरुष में मौजूद होते हैं लेकिन महिला में नहीं होते हैं और कुछ शरीर के अंग दोनों में मौजूद हैं। 

सभी मानव चलते, खाते, देखते, बात करते और सुनते हैं। इस प्रकार से पुरुष और स्त्री दोनों, कुछ सामान्य कार्य करते हैं, लेकिन दोनों के लिए कुछ विशेष बातें ऐसे भी हैं। जो एक-दूसरे के लिए मान्य नहीं हैं। उदाहरण के लिए: एक महिला जन्म दे सकती है, जबकि एक पुरुष नहीं कर सकता, इसलिए यह केवल महिला के लिए है लेकिन देखते हैं कि यह सब कैसे C++ और OOPS से संबंधित है।


यहां हम इसी उदाहरण के माध्यम से OOPS Concept’s को समझने का प्रयास करेंगे।


Object-Oriented Programming Concepts in Hindi

जब कभी भी हम Computer Programming में OOPS की बात करते है तो हमें ये जानते हैं कि इसका मतलब Object-Oriented Programming और उसके Concepts से होता हैं। चलिए देखते हैं कि OOPS के Concepts क्या हैं।

Object Oriented Programming के कुछ Principles इस प्रकार से है:-

  • Classes
  • Objects
  • Abstraction
  • Encapsulation
  • Inheritance
  • Polymorphism

01).Classes: अगर हम Class की बात करे तो ये एक User-defined, Data-type होती है। C language में Class, Structure की तरह होता है। लेकिन classes में आप variable के साथ-साथ उनसे related functions भी create कर सकते है। जिसे हम बाद में Objects के द्वारा access कर सकते है।

मान लीजिए मानव जाति को आप Class के रूप में लेते हैं। यह एक वर्ग का खाका है जो इसकी संपत्तियों और उसके कार्यों को परिभाषित करता है। जैसे मानव शरीर की तरह इनके अंग होना और विभिन्न कार्यों का प्रदर्शन करना।

02).Objects: Object के द्वारा हम Class के variables और functions को access कर सकते है। Class के प्रकार यानि Types के variables को objects कहा जाता है। Object हमारे आसपास की पहचाने जा सकने वाली वस्तु है।
मेरा नाम कुमार है, और मैं पुरुष का एक उदाहरण (Object) हूं। मानव होने के नाते आप पुरुष या महिला होते है सिर्फ एक प्रकार है, मैं, मेरे दोस्त, ये सभी वर्गों के रूप यानि इनकी अलग पहचान हैं।

03).Inheritance: इसमें आप एक code को दूसरी जगह Use करते है। उदाहरण के लिए आप एक class में create किये गए functions को दूसरी class में inherit कर सकते है ऐसा करने से आपको इन functions को दुबारा लिखने की आवश्यकता नहीं होती और आप इन्हें दोनों ही classes के objects से access कर पाते है।

सभी मानव एक वर्ग(Class), जिसमें हाथों, पैरों, आंखों आदि जैसे गुण(function) हैं, और चलने, बात करना, खाने, देखना आदि जैसे कार्य हैं, जो हमें विरासत(Inherit) में मिले है।

04).Abstraction:  इसका मतलब छुपाना ये छुपाने से है, अपनी विवरणों को छुपाते समय बाहर की दुनिया में केवल आवश्यक चीजों का प्रदर्शन करना। मानव की बात करे तो चलना, सुनना, खा सकना ये सब हम कर सकते है, लेकिन ये बाहरी दुनिया से छिपा हुआ है। हम अपनी त्वचा से अंदर की तंत्र को छिपाते हैं।

05).Encapsulation: यह हमारे उदाहरण के साथ आप समझे हमारे पैर हमें चलने में सहायता करने के लिए बाध्य हैं। हमारे हाथ हमें चीज़ों को पकड़ने में मदद कार्यों के गुणों को बाध्य करने के लिए पर ये हमारे शरीर से ही जुड़े है, ठीक उसी प्रकार से किसी Defined data & function का एक ही Unit में जोड़े रहना या जोडना Encapsulation कहा जाता है।

06).Polymorphism: आप एक नाम से कई तरह के tasks implement करते है। C++ में polymorphism function overloading द्वारा implement किया जाता है जिसमें एक नाम के functions को अलग अलग conditions में execute किया जाता है। जिससे हमें कुछ काम करने के तरीके को फिर से परिभाषित करने की अनुमति मिलती है, या तो कुछ बदल कर या कुछ भाग का उपयोग करके किया जाता है, इसे बदलकर किया जाता है। दोनों तरीकों से उनके लिए अलग-अलग शर्तें हैं।

अगर हम अपने हाथों का उपयोग कर चलते हैं, पैर का नहीं, तो यहां हम कुछ हिस्सों को बदल कर इस्तेमाल कर रहे हैं।


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