Physical layer, OSI model में first layer होता है। Physical Layer ये Sure करता है, की अगर One Side से 1 Bit data Send हो तो Other Side भी ये 1 Bit ही हो नाकि 0 Bit.
OSI Model में Physical layer, Physical तथा Electrical Connection के लिए भी जिम्मेदार रहता है। जैसे:- Voltage, Data rates आदि।
Physical layer Electrical/optical, mechanical, and functional interfaces को higher layers के लिए Describe करता है, और signals को higher layers में भेज देता है।
Physical Layer of OSI Model
Physical layer कभी-कभी Communication Resources के बीच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और Contention (विरोध) होने से बचने में मदद करता है। ये Transmission rate को भी handle करता है जिससे Sender और Receiver के बीच Data Flow अच्छे से हो सकें।
Physical layer के devices के रूप में wireless transmission, cabling, connectors और इसके types, Network interface cards (NIC cards) और Different cables हो सकते है।
Physical layer को Bit Unit भी कहा जाता है।
Physical layer के कुछ functions है:-
01). Data Rate: ये layer data rate defined करता है, जैसे की एक second में कितनी bits transfer होगी।
02). Synchronization: ये layer sender और receiver को bit-level पर synchronize करती है।
03). Signals: ये layer bits को signals में convert करके भेजती है।
04). Physical medium attachment: ये देखना की कितने Pin Connectors है और किसका क्या काम हैं।
05). Data Encoding: किसी भी Data Frame को receiving station किस तरह से use करता हैं।
उदाहार्ण के लिए Physical layers को हम इन Protocols में पाते हैं :
01). Digital Subscriber Line
02). Integrated Services Digital Network (ISDN)
03). Infrared Data Association
04). Universal Serial Bus
05). Bluetooth
06). Controller Area Network और
07). Ethernet.
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